Chandrashekhar Azad – shahid divas – 27 February
मां हम विदा हो जाते है
हम विजय केतु फहराने
आज तेरी बलिवेदी पर चडकर
मां निज शीश कटाने आज
स्वतंत्रता संग्राम के महानायक चंद्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई , 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के भाबरा नामक स्थान पर हुआ ।
उनका जन्मस्थान भाबरा अब ‘ आजादनगर ‘ के रूप में जाना जाता है ।
उनके पिता का नाम पंडित सीताराम तिवारी एवं माता का नाम जगदानी देवी था ।
उनके पिता ईमानदार , स्वाभिमानी , साहसी और वचन के पक्के थे ।
यही गुण चंद्रशेखर को अपने पिता से विरासत में मिले थे ।
रामप्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में आजाद ने काकोरी षड्यंत्र ( 1925 ) में सक्रिय भाग लिया और पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार हो गए । 17 दिसंबर , 1928 को चंद्रशेखर आजाद , भगत सिंह और राजगुरु ने शाम के समय लाहौर में पुलिस अधीक्षक के दफ्तर को घेर लिया और ज्यों ही जे.पी. साण्डर्स अपने अंगरक्षक के साथ मोटर साइकिल पर बैठकर निकले तो राजगुरु ने पहली गोली दाग दी , जो साण्डर्स के माथे पर लग गई वह मोटरसाइकिल से नीचे गिर पड़ा । फिर भगत सिंह ने आगे बढ़कर 4-6 गोलियां दाग कर उसे बिल्कुल ठंडा कर दिया । जब साण्डर्स के अंगरक्षक ने उनका पीछा किया , तो चंद्रशेखर आजाद ने अपनी गोली से उसे भी समाप्त कर दिया ।
इतना ना ही नहीं लाहौर में जगह – जगह परचे चिपका दिए गए , जिन पर लिखा था- लाला लाजपतराय की मृत्यु का बदला ले लिया गया है । उनके इस कदम को समस्त भारत के क्रांतिकारियों खूब सराहा गया ।
अलफ्रेड पार्क , इलाहाबाद में 1931 में उन्होंने रूस की बोल्शेविक क्रांति की तर्ज पर समाजवादी क्रांति का आह्वान किया । उन्होंने संकल्प किया था कि वे न कभी पकड़े जाएंगे और न ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी ।
इसी संकल्प को पूरा करने के लिए उन्होंने 27 फरवरी , 1931 को इसी पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी । ऐसे वीर क्रांतिकारी , लोकप्रिय चंद्रशेखर आजाद के अमूल्य योगदान को भारतवासी कभी भी भूला नहीं सकते । ।
मैं आजाद हूं चिंगारी आजादी की सुलगी मेरे जश्न में है इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में है मौत जहां जन्नत हो ये बात मेरे वतन में है कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है